प्रेम :यहाँ कृत्तिम कुछ भी नहीं
रक मात्र स्थल जहा आप अहम् के साथ चले भी गए तो लौटते है ...अहम् को छोड़ कर...वापिस उसकी फिर कभी दरकार नहीं रहती है ...बहुत से लोग कहते है की प्रेमियों में झगडा होता है ....मैं ये कहता हूँ की प्रेमी जब तक झगडा करते है तब तलाक ही वे जीवित प्रेमी है ......जहा कृतिमता ढह जाती है ..ह्रदय के द्वार खुल जाते है ...सब कोई अछे लगने लगते है .......
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