Friday, April 23, 2010

सम्बन्ध :२
प्रेम में लीन दो प्रेमियों का सम्बन्ध दूरियों में,न बात करने से ,न मिलने से कभी प्रभावित नहीं होता है ..वेह एक निश्चित स्थान ग्रहण कर लेता है ,व् उसी तरह का भाव दोनों के बीच सैदेव रहता है ,उस भाव को बनाये रखने के लिए किसी  भी चीज की आव्सय्कता नहीं होती /समय की गर्द से वह दब कर प्रभावित नहीं होता ,उसका कारन भी है की जिस तरह उर्झा कभी भी समाप्त नहीं होती मगर रूपांतरित हो जाती है
उसी तरह प्रेम की ऊष्मा कभी मरती नहीं बल्कि याद में स्थायी याद में व्यक्ति के साथ  साथ चलती जाती है /
प्रेम के लिए आवश्यक शर्त वही समझ में आती है की जिस तरह कीचड़ की बदबू को समाप्त किये जाने का संकल्प लेकर कमल कीचड़ में नहीं खिलता है बल्कि अपनी सुवास से कीचड़ की शक्ति को ही बयां करता है उसी तरह से एक दूसरे की अस्मिता की रक्षा करते हुए ही प्रेम की प्यास को बढाया जासकता है ,इसके कतई ये मायने नहीं है की प्रेम एक दूसरे को बदलता नहीं है ,हाँ बदलता है मगर इस सहजता से इस गति से की एक दुझे को भान नहीं होता है की कब वे बदल गए ,और अब वे एक दूसरे के प्रेम में विलोप होने की स्थति  में पहुँच रहे है ..तब भी सावधान रहने की एक विशेष  प्रकार  की योजना, एक विशेष संस्कार आपकी मदद तभी कर सकता है जब एक दूसरे के ख्याल में जाने अनजाने यह नहीं आ पाए की वे एक दूसरे पर हक ज़माने की एक दूसरे के निजी ..स्व ,..को अपना बनानें का प्रयास कर रहे है ..यह भान होते ही भले ही आपके सम्बन्ध बरसों पुराने हो वे अलगाव की तरफ चलना प्रारंभ कर देते है ..अतः सम्बन्ध विन्यास को समझना बहुत आवस्यक है ..और इसको समझने के पहिले व्यतिगत स्वतंत्रता को  समझना पड़ेगा ......(क्रमश:)

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